फिल्म समीक्षा : प्यार में डूबा संगीतमय 'रॉकस्टार'



फिल्म समीक्षा : 'रॉकस्टार'
रेटिंग : 2.5
निर्देशक : इम्तियाज अलि
निर्माता :श्री अष्टविनायक सिनेविजन लि. और इरोज इंटरनेशनल
कलाकार : रणबीर कपूर, नर्गिस फखरी, शम्मी कपूर
गीतकार : इरशाद कामिल, मोहित चौहान
सिनेमेटोग्राफी : अनिल मेहता
संपादन : आरती बजाज
संगीत : ए. आर. रहमान
फिल्म निर्देशक इम्तियाज अलि की आज रिलीज हुई फिल्म 'रॉकस्टार' अपने बेहतरीन गीत -संगीत , रणबीर कपूर के बेजोड़ अभिनय के बावजूद उस गहराई को नई छूती दिख रही है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। दरअसल जब वी मेट और लव आज कल जैसी सुपरहीट फिल्म बना चुके निर्देशक इम्तियाज अलि का यहां किसी और से नहीं बल्कि खुद से मुकाबला था, वे इस फिल्म में ,खुद के प्रतिद्वंदी थे लेकिन जिस तरह से उन्होंने फिल्म का अंत किया है वह कई सवाल खड़े करता है। इस फिल्म में खूबसूरत संगीत है, गीतों में लाजवाब अल्फाज है और शानदार सिनेमैटोग्राफी के बावजूद कमजोर संपादन फिल्म का मजा किरकरा करता है। फिल्म में जिस तरह का अंत दिखाया गया है वह भारतीय दर्शको को पसंद नहीं आएगा। मौत के डर में असल सिनेमा की आत्मा छिपी होती है और ऐसा अवसर इम्तियाज को इस फिल्म के अंत में जिंदगी और मौत के बीच सिनेमाई कशमकश दिखाने का अवसर मिला था लेकिन वे कमजोर पड़ गए, यहां इम्तियाज साहस दिखाते तो कुछ और बात होती।
फिल्म की लंबाई फिल्म का माइनस पोइंट हैं। फिल्म का पहला भाग बहुत खूबसूरत है लेकिन दूसरा भाग कमजोर है। फिल्म अपनी शुरुआत के साथ बेहतर होती जाती है कई पल ऐसे आते है जब ऐसा लगता है कि फिल्म कुछ कमजोर पड़ रही है लेकिन ठीक ऐसे समय में कोई ना कोई बेहतरीन संगीत फिल्म को संभाल लेता है। इम्तियाज की फिल्मों में नायिका विवाह से पहले जिंदगी के फन को जीने का शौक रखती है और इस फिल्म में भी हीर कुछ ऐसी ही है ,बल्कि वह बोल्ड और बिंदास है जो विवाह के बाद भी रॉकस्टार के प्यार में खो जाती है और दिल जोड़ने और तोड़ने की कहानी का हिस्सा बनती है। इम्तियाज की इस फिल्म में अगर कुछ नया है तो कहानी कहने का अंदाज और वे पुरानी कहानी को नए अंदाज में कहने में माहिर हो चले है।

इम्तियाज की फिल्मों में नायिका बिंदास, खूबसूरत और अल्हण होती है और इस फिल्म में हीर (नíगस ) ने ऐसे चरित्र को जिया है। वह देसी बोल्ड फिल्म देखने, शराब का सेवन करने से भी परहेज नहीं करती। हीरो जनार्दन (रणबीर कपूर) जॉन मारिसन की तरह बड़ा रॉकस्टार बनना चाहता है । कुछ बनने के लिए इंसान की जिंदगी में दर्द होना जरूरी होता है और कहते हैं अधूरी मोहब्बत का दर्द इंसान को तोड़ देता है॥लेकिन इस दर्द में इंसान कुछ बनता भी है , और फिल्म का नॉयक भी जर्नादन से जार्डन बनने तक दर्द के कई दौर से गुजरता है। जार्डन एक ऐसे 'रॉकस्टार' के रूप में सामने आता है जिसके लिए हर पिंजरा और बंधन छोटा नजर आता है लेकिन हीर की चाहत उसके दिल में इस कदर ..है कि उसकी दिवानगी में उसे अपना वह मुकाम भी छोटा लगने लगता है जिसे वह पाना चाहता था..।

रॉकस्टार के रोल में रणबीर कपूर ने लाजवाब अभिनय किया है। कभी वे मासूम लगे है॥तो कभी दर्द की छटपटाहट तो कभी रोमांटिक और प्रेम में डूबे देवदास तो कभी आप उनको एंग्रीरूप में भी देखते है। नíगस फखरी खूबसूरत लगी है और चूकिं उनकी यह पहली फिल्म थी उस लिहाज से अभिनय भी ठीक ठाक रहा है। अदिति रॉव हैदरी पत्रकार के छोटे से रोल में बिंदास नजर आई है। शम्मी कपूर को शहनाई और रणबीर को गिटार के साथ जुगलबंदी करते हुए देखना दर्शको के लिए शानदार अनुभव होगा।


फिल्म की सिनेमैटोग्राफी कमाल की है और कश्मीर, हिमाचल और प्राग की खूबसूरत लोकेशन को बेहतरीन फिल्माया गया है। रॉकस्टार को यूथ पसंद करेगा इसमें कोई संदेह नहीं । वैसे निर्देशक ने साहस दिखाते हुए 6 से 7 बोल्ड किस सीन का फिल्मांकन करते हुए प्रयोगधर्मिता का परिचय भी दिया है। किस से पहले उस पर नायक और नायिका को चर्चा करते हुए और संबंधो की सीमा तय करते हुए देखना न्यूएज सिनेमा की झलक भी मिलती है। इस बात के लिए इम्तियाज की तारीफ करनी चाहिए वो दिन हवा हुए जब परदे पर किस सीन देखकर हाय -तौबा मच जाती थी।


आखिर इस फिल्म को क्यों देखना चाहिए ? इस प्रश्न का सीधा जवाब यह होगा कि रणवीर कपूर के शानदार अभिनय के लिए,इसके साथ आपको ए. आर . रहमान के कमाल के संगीत के साथ इरशाद कामिल और मोहित चौहान के खूबसूरत अल्फाजों की जुगलबंदी और खूबसूरत रोमांटिक फिल्म देखने की अगर आपकी चाहत हो तो इस फिल्म को देखना चाहिए। अगर आप भी अपने अधूरे प्यार को याद ताजा करना चाहते हैं तो इस फिल्म को देखकर आप अपना अतीत याद कर सकते हैं। फिल्म की सफलता पूरी तरह से युवा दर्शको पर टिकी हुई है और मल्टीप्लेक्स सिनेमा में इसे पसंद किए जाने की उम्मीद आप कर सकते हैं।

राजेश यादव

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